इस वर्ष जनवरी में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपनी स्वयं-सुरक्षा का अधिकार है | शर्म कि बात यह है कि इसी दौरान हमारी अपनी सरकार ने इस अधिकार को व्यावहारिक रूप से अमीर और शक्तिशाली नागरिकों तक ही सीमित करने कि ओर कदम उठाये |
स्वयं-सुरक्षा का अधिकार हर नागरिक को यह हक़ देता हैं कि वह अपने और अपनी संपति को अपराधिक हमले से बचाने के लिए पूरी शक्ति का इस्तेमाल कर सके | यह अधिकार केवल स्वयं-सुरक्षा तक ही सिमित नहीं है , यह नागरिकों को एक दुसरे कि मदद करने का भी हक़ प्रदान करता हैं | हमारे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ तक कहा है कि भारतीय नागरिको को कायर नहीं होना चाहिए और डट कर अपराधियों का सामना करना चाहिए | यह अधिकार केवल कोर्टों और नियमों तक ही सिमित नहीं हैं , हमारे संविधान का अनुक्षेद 21 हर नागरिक के जीवन और आज़ादी के अधिकार को पूरी तरह से पहचानता हैं | ना ही यह कोई नई धाररणा है , यह अधिकार हर युग और हर सभ्यता में नागरिकों का एक मूल हक़ माना गया हैं | इस अधिकार का यह मतलब नहीं है कि सरकार हर नागरिक के जीवन, आज़ादी और अधिकारों कि सुरक्षा के उत्तरदायित्व से मुक्त हो जाये, बल्कि यह उन सब अधिकारों में से है जिन की सुरक्षा का उत्तरदायित्व हर सरकार पर हैं |
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