दिग्गी बनाम चिंदबरम

Punjab Kesari
Friday, August 6, 2010

नाक्साल्वाद ही एक ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर दिग्विजय सिंह ने गृह मंत्री चिदम्बरम के खिलाफ तलवार निकाल रखी है | चिदम्बरम से आजकल जो उन्हे नई परेशानी है, वह है गृहमंत्री ने हथियार और आयुध क़ानून १९५९ मे बदलाव किया है जिससे किसी व्यक्ति के लिए हथियार हासिल करना और जिनके पास है उनका लाइसेंस नवीकरण करवाना कठिन हो जायेगा |

अपनी सामंती वंशावली के अनुरूप, दिग्विजय सिंह जो नेशनल गन्स राइट्स एसोसिएशन आफ इंडिया के संरक्षक भी है, ने खुद आगे आकर इस विधेयक को रुकवाने की कोशिश की है | पिछले हफ्ते कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद यह विधेयक मानसून सत्र में सदन के पटल पर रखे जाने के लिए तैयार था, लेकिन नेशनल गन्स राइट्स एसोसिएशन आफ इंडिया पार्टी लाइन से हटकर इसके खिलाफ समर्थन जुटा रही है | गृह मंत्रालय ने २१ दिसंबर २००९ को भविष्य की नीति पर एक प्रारूप बनाकर उस पर जनता की राय मांगी जिसकी अंतिम तिथि जनवरी २०१० थी | संसद को विशवास में लिए बिना ही गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक पत्र लिखकर इसे लघु करने के लिए कह दिया | शस्त्र कानून १९५९ को संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति मिली थी | नई नीति में कहा गया है कि गैर प्रतिबंधित बोर हथियारों के लिए आवेदन उन्ही लोगों से स्वीकृत किए जाएंगे जिन लोगों के जीवन पर गहरा खतरा है | जबकि १९५९ किए कानून में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है | नेशनल गन्स राइट्स एसोसिएशन आफ इंडिया का मानना है कि नई नीति से केवल अमीरों और ताकतवर लोगों को ही लाभ होगा | नए कानून के अनुसार पुलिस कि पुष्टि के बिना कोई नया लाइसेंस या नवीनीकरण नहीं किया जायेगा | पूर्व में यह अपने आप ही नया बन जाता था यदि पुलिस ६० दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप पाती थी | इस नई नीति में एक नई शर्त जोड़ी गई है जिसका विरोध हो रहा है, वह यह है कि हथियार को मालिक इसे अपने जिले या प्रदेश से बाहर नहीं ले जा सकता | नेशनल गन्स राइट्स एसोसिएशन आफ इंडिया इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मिलकर इस विधेयक को रुकवाने कि योजना बना रही है | उन्हें सौ से अधिक सांसदों के समर्थन कि उम्मीद है |